प्यारे भतिजो और भतिजियो, होली की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं. इस मौके पर ताऊ द्वारा एक मुशायरे में पढी गई रचना का आनंद लीजीये.
होली पर था रंगारंग कार्यक्रम
पहुंचें सभी कवि शायर कलाकार।
दो हरियाणवी रागिनी गायक भी
शिरकत करने हो तैयार।
शायर पेश करते रहे अपना कलाम।
ओ इन ताऊओं की समझ हो रही थी नाकाम।
एक शायर ने कहा हजरात सलाम पेश करता हूँ।
आपकी दाद चाहूंगा लीजिए एक कलाम पेश करता हूँ।
ताऊ चुपचाप देखते रहे भौंचक्के
उर्दू का एक भी शब्द न पड़ा उनके पल्ले।।
शायर ने पहला मिसरा-ए-उला पढा
तालियों और वाह वाह का दौर परवान चढ़ा।।
बड़े उस्ताद जी ने शायर की पीठ थपथपाई।
जोश में भरकर शायर ने जब मिसरा-ए-सानी पढा।
और वाहवाही के जवाब में
झूमते हुए आ-दाब आ-दाब कहने लगा।।
पहला ताऊ दूसरे से यूँ बोला
अरै काले, यू सुसरे में देवी आगी दिखै
तभी तो कहरया सै आ दाब, आ दाब
खड्या हो भई मदद कर इसकी
नही तो यू मर ज्यागा
दोनो ताऊओ ने शायर को पकड़ कर नीचे गिरा लिया
और चढ़ बैठे उसके सीने पे।
घुटनो के नीचे दाब कर बोले
ले भई, दाब लिया, इब सुना शायरी....
देवी तेरा कुछ न बिगाड़ पाएगी।
शायर ताऊओ के घुटनों के नीचे पड़ा मरणासन्न सा हो गया
आयोजक आए दौड़े दौड़े,
ताऊओ से छुड़वाया और यूँ डांटने लगे।
बेवकूफों इसे तहजीब कहते है
और हरियाणवीयों को सब यूँ ही नहीं अजीब कहते हैं।
ताऊ बोले - हम तो इसकी मदद कर रहे थे
इसपे देवी चढगी थी
तभी तो यू चिल्लावै था
आ दाब आ दाब
और हमने दाब लिया इसको।
आयोजकों ने माथा पीट लिया
एक दूजे को आपस मे ही घसीट लिया।
एक बोला किसने कहा था
इन ताऊओ को बुलाने को
दूसरा बोला जी, गलती हो गई
भगाओ इन नादानों को ।।
ताऊ बोले भई म्हारी रागिनी तो सुन लो।
तुम सबको सुन सुनकर हमने सिर धुना है,
थोड़ा तुम भी धुन लो।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
पहुंचें सभी कवि शायर कलाकार।
दो हरियाणवी रागिनी गायक भी
शिरकत करने हो तैयार।
शायर पेश करते रहे अपना कलाम।
ओ इन ताऊओं की समझ हो रही थी नाकाम।
एक शायर ने कहा हजरात सलाम पेश करता हूँ।
आपकी दाद चाहूंगा लीजिए एक कलाम पेश करता हूँ।
ताऊ चुपचाप देखते रहे भौंचक्के
उर्दू का एक भी शब्द न पड़ा उनके पल्ले।।
शायर ने पहला मिसरा-ए-उला पढा
तालियों और वाह वाह का दौर परवान चढ़ा।।
बड़े उस्ताद जी ने शायर की पीठ थपथपाई।
जोश में भरकर शायर ने जब मिसरा-ए-सानी पढा।
और वाहवाही के जवाब में
झूमते हुए आ-दाब आ-दाब कहने लगा।।
पहला ताऊ दूसरे से यूँ बोला
अरै काले, यू सुसरे में देवी आगी दिखै
तभी तो कहरया सै आ दाब, आ दाब
खड्या हो भई मदद कर इसकी
नही तो यू मर ज्यागा
दोनो ताऊओ ने शायर को पकड़ कर नीचे गिरा लिया
और चढ़ बैठे उसके सीने पे।
घुटनो के नीचे दाब कर बोले
ले भई, दाब लिया, इब सुना शायरी....
देवी तेरा कुछ न बिगाड़ पाएगी।
शायर ताऊओ के घुटनों के नीचे पड़ा मरणासन्न सा हो गया
आयोजक आए दौड़े दौड़े,
ताऊओ से छुड़वाया और यूँ डांटने लगे।
बेवकूफों इसे तहजीब कहते है
और हरियाणवीयों को सब यूँ ही नहीं अजीब कहते हैं।
ताऊ बोले - हम तो इसकी मदद कर रहे थे
इसपे देवी चढगी थी
तभी तो यू चिल्लावै था
आ दाब आ दाब
और हमने दाब लिया इसको।
आयोजकों ने माथा पीट लिया
एक दूजे को आपस मे ही घसीट लिया।
एक बोला किसने कहा था
इन ताऊओ को बुलाने को
दूसरा बोला जी, गलती हो गई
भगाओ इन नादानों को ।।
ताऊ बोले भई म्हारी रागिनी तो सुन लो।
तुम सबको सुन सुनकर हमने सिर धुना है,
थोड़ा तुम भी धुन लो।
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