मैं नागनाथ, तू सांपनाथ, मौसम है दिखावा करने का

अभी तक तो हस्तिनापुर में ताऊ महाराज धृतराष्ट्र का एक छत्र शासन चल ही रहा है  पर आजकल विपक्षियों ने महाराज की नाकों में दम कर रखा है. पिछले काफ़ी लंबे अर्से से  अभी तक महाराज और उनके चेले चपाटे ही घोटालों पर घोटाले करके माल कमाये  जा रहे हैं. विरोधियों के सब्र का बांध टूटा जा रहा है वो किसी भी कीमत पर आने वाले चुनाव में अपना शासन स्थापित करने को बेताब हैं क्योंकि घोटालों में उनको बराबरी का हिस्सा नही मिला.

ताऊ महाराज धृतराष्ट्र को उनके खुफ़िया सुत्रों ने  आगाह कर दिया है कि अबकि बार विपक्षी नेता सतीश सक्सेना  के इरादे नेक नही लग रहे हैं, क्योंकि लूट का माल महाराज ने कहीं छुपा दिया था और चाबी की हवा भी किसी को नही लगने दे रहे हैं.  पार्टी प्रवक्ता खुशदीप सहगल भी महाराज को लगातार इस अनहोनी के लिये तैयार रहने को  चेता रहे थे और आजकल क्राईसेस मैनेज करने में जुटे हुये थे.

इस बात से महाराज काफ़ी चिंतित से रहने लगे हैं कि कहीं ऐसा ना हो कि अगली बार उन्हें घोटाले करने का मौका नही मिले. क्योंकि घोटाले, बेईमानी, भ्रष्टाचार ही तो ताऊ महाराज के जीवन की डोर है. यह सब ना हों तो महाराज जिंदा ही नही रह सकते.

स्वागत कक्ष में बैठे पार्टी प्रवक्ता श्री खुशदीप सहगल, प्रमुख विपक्षी नेता
श्री सतीश सक्सेना, कामरेड श्री  दिनेशराय द्विवेदी, स्वास्थ्य मंत्री डा. दराल
एवम विज्ञान व अंतरिक्ष मंत्री श्री अरविंद मिश्र.


आखिर ताऊ  महाराज को एक तरकीब सूझ ही गई और उन्होंने सत्ता छोडने की बजाय एक नया फ़ार्मुला निकाला. सभी  विपक्षी पार्टियों को एक शाम मुशायरे के नाम पर खाने पीने के लिये  आमंत्रित कर लिया. महाराज  अपना लठ्ठ कंधे पर रख कर आमंत्रितों का गर्मजोशी से स्वागत करने लगे.   कंधे पर लठ्ठ रख कर स्वागत करना यूं तो शालीन नही कहा जा सकता  पर महाराज के पास बस यही एक तो हथियार है विपक्षियों को काबू में रखने का.  कंधे पर रखा लठ्ठ महाराज की CBI यानि Celebrity Blog Investigation
द्वारा जांच बैठाने  का सूचक है जिसको देखते ही सामने वालों को पता चल जाता है कि यदि महाराज की बात नही मानी तो CBI प्रमुख परिकल्पना वाले श्री रवींद्र प्रभात जी को उनके ब्लाग की जांच का  काम सौंपा  जा सकता  है.

ताऊ महाराज मुशायरे में अपनी बात रखते हुये

मुशायरे की संध्या पर ताऊ महाराज ने सबका  स्वागत करने के बाद सबसे  खाने पीने का इसरार करते हुये अपने कंधे पर लठ्ठ  रखते हुये बोलना शुरू किया.....

प्यारे भाईयो, चाहे आप या हम सत्ता में रहें या विपक्ष में, उससे क्या फ़र्क पडता है? हम सबका एक ही उद्देष्य है कि देश को आगे ले जाना है और देश आगे तभी जायेगा जब यहां के लोगों में 100 रूपये किलो टमाटर और 50 रूपये किलो प्याज जैसी चीजे खरीदने की क्षमता हो.....खैर यह सब एजेंडा तो हम दोनों ही पक्ष विपक्ष के लोग जानते हैं.

मैने आज आपको इस गोपनीय मुशायरा संध्या में इसलिये बुलाया है कि आने वाले चुनाव का अंदरूनी एजेंडा हम तय करले, हममें से किसी एक की हार या जीत तो होनी ही  है. .. लेकिन हम ये वादा करें कि शासन चाहे जिसका भी रहे हम एक दूसरे का पूरा ख्याल रखेंगे.

मैं मानता हूं कि इस बार मेरे मंत्रियों ने घोटाले कुछ ज्यादा ही कर दिये और आपको ज्यादा मौका नही मिला किंतु इस बार ऐसा नही होगा. लूट के माल का बंटवारा बराबर होगा.


ताऊ महाराज की चाबी वाली बात गौर से सुनते सतीश सक्सेना

इसी बीच विपक्ष के नेता सतीश सक्सेना तमतमा कर उठे और बीच में ही बोले ......ताऊ महाराज, ऐसा नही चलेगा, तुमने लूट का सारा माल कहीं छुपा दिया है, यदि बराबरी की बात करते हो तो उस खजाने की चाबी हमारे हवाले करो वर्ना विरोध जारी रहेगा........

सतीश सक्सेना को शांत करते हुये ताऊ महाराज धृतराष्ट्र बोले - सतीश जी प्लीज...प्लीज आप शांत हो जाईये और मेरी पूरी बात तो सुनिये.....आप नाराज क्यूं हो रहे हैं? आपके लिये एक गजल पेश कर रहा हूं..आपकी सब शिकायते दूर हो जायेंगी और चाबी का राज भी पता चल जायेगा. सुनिये....

मैं नागनाथ, तू सांपनाथ, मौसम है दिखावा करने का 
या मैं जीतूँ  या तू जीते, न गम हो किसी के पिटने का

प्रजातंत्र की लूट मे हम, मिलजुल कर मलाई खा लेंगे

जब जेब भरें हम दोनों की , काहे झंझट में, पडने का   

तू मेरी सीडी पब्लिश कर , मैं तेरा  बैण्ड  बजवा  दूंगा 

मिलता है हमको कभी कभी, मौका नोटों के गिनने का  

तू  पक्ष में हो या विपक्ष में, हर तरफ़  फसल  है,  चांदी की 

काटो चुपचाप बिना पंगा, क्यों  व्यर्थ का  झगडा रोने का 

जनता के चक्कर में प्यारे क्यों अपना समय ख़राब करें 

चुपचाप गड्डिया रखता जा स्विस का बैलेंस बढाने का 

मिल बाँट खाओ और मौज करो, बेकार बहस में पड़ते हो  
ताऊ कहता , हद में ही रहो, मौका  आये क्यों लठ्ठ उठाने का



इस तरह ताऊ महाराज ने अंत में लठ्ठ (CBI) की छुपी हुई धमकी देते हुये  अपनी बात पूरी की, चारों तरफ़ शांति पसर गई  और अब बोलने के लिये खडे हुये प्रमुख विपक्षी नेता सतीश सक्सेना .......

(क्रमश:)

Comments

  1. एकदम सटीक पंक्तियाँ..... दिखावे का ही खेल है सारा

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  2. नागनाथ, सांपनाथ दोनों ही बन गए हैं देश पर कलंक,
    खाते भी खूब है हराम का और ऊपर से मारते भी हैं डंक!
    मुंबई का अथिति रेस्टोरेंट हुआ ताजा-ताजा शिकार है,
    घोटालों की बरसात के बाद, दूसरों पर उछालते है पंक !

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  3. अच्छी खबर ली है ताऊ आपनें तो !
    राम राम !!

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  4. तू मेरी सीडी पब्लिश कर , मैं तेरा बैण्ड बजवा दूंगा
    मिलता है हमको कभी कभी, मौका नोटों के गिनने का ...

    वाह जी वाह ... क्या बात क्या बात .. इस मस्त शायरी पे तो सी बी आई वाले फ़िदा हो जाएंगे ... कितने में सौदा पाने वाला है ..

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  5. हम आपकी बात को अच्छे से समझ रहें हैं ..ताऊ

    राम राम

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  6. मुशायरे की संध्या ..क्या बात है.. बहुत बढिया सटीक व्यंग..

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  7. चुटीली प्रस्तुति-
    बधाई ताऊ

    लाई जो फाँका किये, रहे मलाई चाट |
    कुल कुलीन अब लीं हैं, करते बन्दरबाँट |
    करते बन्दरबाँट, ठाठ से करें दलाली |
    रखता स्विस में साँप, कमाई पूरी काली |
    दिखता नाग प्रताप, आज ईश्वर की नाई |
    पाए सत्ता आप, खाय भोजन मुगलाई ||

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  8. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥

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  9. सबको तो शान्त होना ही है, प्रस्ताव ही कुछ ऐसा है..

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  10. सी बी आयी का नया फुल फॉर्म और पक्ष-विपक्ष मुशायरा ''..देखकर लगा ऐसे नए-नए विचार ताऊ को कहाँ से आते हैं इसका पता लगाने के लिए ज़रूर बड़े देशों की की खोजी टीमें लगी होंगी.

    जनता के चक्कर में प्यारे क्यों अपना समय ख़राब करें
    चुपचाप गड्डिया रखता जा स्विस का बैलेंस बढाने का

    इस शेर में तो सारी बात ही समझा दी .
    बहुत खूब!

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  11. बढ़िया व्यंग्य ... ताऊ जी..!
    मगर सच! बहुत दुख भी होता है...
    'ये कहाँ आ गये हम... यूँ ही जेब भरते-भरते...'

    ~सादर!!!

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  12. मैं नागनाथ, तू सांपनाथ, मौसम है दिखावा करने का
    या मैं जीतूँ या तू जीते, न गम हो किसी के पिटने का
    नागनाथ जीते की सांपनाथ जीते लुटती पिटती तो आम जनता ही है … !
    सटीक व्यंग्य है ,फिर से अपने ट्रैक पर लौटे आये ताऊ को देखकर अच्छा लगा :)

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  13. प्रजातंत्र की लूट मे हम, मिलजुल कर मलाई खा लेंगे
    जब जेब भरें हम दोनों की , काहे झंझट में, पडने का
    शायद विपक्षियों ने नहीं सुनी अब तक यह गजल :)

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  14. वर्तमान राजनीति का सही व्यंग्यात्मक चित्रण

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  15. ताऊ, बिलकुल सही ,ये सब दिखावा का खेल है .ग़ज़ल भी बहुत अच्छा है
    latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
    latest दिल के टुकड़े

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  16. सानदार महफ़िल सजाई है ,
    ग़ज़ल भी जानदार सुनाई है.

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  17. तू मुझे खिला मैं तुझे खिलाऊं , भैसों का चारा पानी ,
    जनता जाये भाड़ में, सुन ताऊ महाराज की कहानी।

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  18. बिलकुल सही कहा , सब दिखावा है, हर और लूट मची हुई है,इंतजार रहेगा अगली पोस्ट का देखते है सतीश जी किया कहते है,

    बहुत सुंदर लिखा है,शुभकामनाये

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  19. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (25-07-2013) को हौवा तो वामन है ( चर्चा - 1317 ) पर "मयंक का कोना" में भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  20. विज्ञान व अंतरिक्ष मंत्री श्री अरविंद मिश्र. आम चूसते नज़र आ रहे हैं -यह तो दरबार की सरासर तौहीन है ! या तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाय या सभी को एक एक आम चूसने को दिया जाय -और महराज खुद एक मालदह चूसें !

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  21. सर्वदलीय बैठक के समाचार पढ़कर धन्‍य हो गए जी।

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  22. कुछ लोग ऐसे भी तो होंगे जिन्हें ताई का अभयदान प्राप्त हो !

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  23. एकदम सटीक..... दिखावे का खेल

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  24. व्यंग्य का दंश - देखन में सूधा लगे घाव करै गंभीर !

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  25. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  26. सही है कोई भी पार्टी सत्ता में आ जाए वो तो ऐसे ही मलाई खाएँगे .... लुटी पिटी तो जनता ही रहेगी .... तीखा व्यंग्य

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  27. सुन्दर ,सटीक और सार्थक . बधाई
    सादर मदन .कभी यहाँ पर भी पधारें .
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  28. बोलने से कुछ नहीं होगा की माल में बराबरी का हिस्सा देंगे, विदेश से किसी बड़े बजट वाले समझौते के लिए टीम का प्रमुख बना कर भेज दीजिये विपक्ष को , माल तो खुद ही बना लेंगे और कहते है की जब पेट में गया चारा तो हँसने लगा बेचारा |

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  29. लट्ठ की महि‍मा अपरंपार है चाहे मुशायरा हो या भैंस, दोनों को हांका जा सकता है

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  30. मैने आज आपको इस गोपनीय मुशायरा संध्या में इसलिये बुलाया है कि आने वाले चुनाव का अंदरूनी एजेंडा हम तय करले, हममें से किसी एक की हार या जीत तो होनी ही है. .. लेकिन हम ये वादा करें कि शासन चाहे जिसका भी रहे हम एक दूसरे का पूरा ख्याल रखेंगे.

    व्यंग्य विड्म्बन और दुलत्ती धंधा खोरों को


    शुक्रिया आपके निरंतर प्रोत्साहन का .

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  31. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  32. अन्दर की बात भी समझ में आ रही है..

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  33. अन्दर की बात भी समझ में आ रही है..

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  34. kyaa baat hai ...kmaal ki gazal likh maari taau ....:))


    haan dainik bhaskar wali cutting mujhe fir se bhejein is mail par .....

    harkirathaqeer@gmail.com

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  35. गोलमाल है सब गोलमाल है। ग़ज़ल में भी विपक्षी नेता का स्टाइल उड़ाया जान पड़ता है। देखे क्रमशः में आगे क्या होता है..!

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  36. ताऊ ...महराज,जय हों आपकी |लट्ठ से मुशायरा संचालन करना जरुरी हैं ,तभी समझ में आएगा की बोल कौन रहा हैं |
    http://drakyadav.blogspot.in/

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  37. वाह ताऊ सा लठ्ठ शब्द को आपने नए आयाम नै इज्ज़त बक्षी है। सारा व्याकरण ही इनदिनों बदला हुआ है कोई पिल्लै का अर्थ सेकुलर तो कोई एक ख़ास समुदाय को बतला रहा है। मजेदार बात यह है हिन्दुस्तान में कौन कहाँ पे अल्प संख्यक है यह किसी को आज मालूम ही नहीं है। कश्मीर में कौन अल्प संख्यक है ?पंजाब में कौन हैं ?कहीं कहीं तो जो संख्या बल में जन गणना में अल्प संख्यक हैं वह राजनीति में बहु संख्यक हैं।

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  38. ताऊ ,
    अपने हथकंडों से, चालाकियों से तुम्हे राज चलाते बरसों बीत गए मगर जनता को लूटते खाते, तुम्हारा पेट नहीं भरा !
    इस बार हमने जनता को खूब समझा दिया है ..जैसे ही हम सत्ता में आये तुम्हे जेल में डाल सारे घोटालों की जांच के लिए कमीशन बिठाएँगे ..
    या कहीं बैठ के फैसला कर ले, खजाने की चावी साथ ले आना !
    राम राम !!!

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  39. जनता के चक्कर में प्यारे क्यों अपना समय ख़राब करें
    चुपचाप गड्डिया रखता जा स्विस का बैलेंस बढाने का

    मिल बाँट खाओ और मौज करो, बेकार बहस में पड़ते हो
    ताऊ कहता , हद में ही रहो, मौका आये क्यों लठ्ठ उठाने का
    ...हूँ ...सच्ची -सच्ची कही ..

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