तो भाइयो और भौजाइयो .....दिल थाम के बैठो ..... अब आ रहे हैं...... चच्चा मनचले "पिट लिए" ...पर चच्चा कैसे किससे "पिट लिये" ? इसकी एक बानगी उनको सुनने के पहले देख लिजिये.
चच्चा "पिट लिये" को पीटने का इंतजार करती समीरा भौजी, अनुरागी भौजी, विजया भौजी और ललिता भौजी
ये चार चार भौजियां लठ्ठ लिये चच्चा पिट लिये को पीटने के लिये इंतजार कर रही हैं कि कब चच्चा आये और कब उनको पीटा जाये. पर चच्चा भी आखिर चच्चा ठहरे....खुद तो आये इंतजाम से ...और संगी साथियों को पिटवा कर एक तरफ़ खडा कर दिया...जरा हालत तो देखिए चच्चा के दोस्तों की... चच्चा बडी चालू चीज हैं... चच्चा को देखिये तो सही.. ..कैसे मुस्करा कर पिट रहे हैं....
चच्चा "पिट लिये" को पिटवाती रजिया भौजी, पीटे हुये खडे देवरों को पहचानिये और पीटने वाली भौजी कौन है?
और ये रजिया भौजी तो चच्चा "पिट लिये" को जमकर पिटवाने पर अडी हैं....मारे जावो.....मारे जावो...लठ्ठ पे लठ्ठ...आखिर भौजी का ही देवर है... कोई पराया देश का थोडे ही है.
पर सवाल ये है कि चच्चा "पिट लिये" को ये कौन सी भौजी पीटे जा रही है?
कोई बता सकता है?
यही राज है कि ये लठ्ठ कौन सी भौजी चला रही है?
चच्चा "पिट लिये" से कविता पाठ करवाती रजिया भौजी और डांस करता रामप्यारे
और अब चच्चा "पिट लिये" को रजिया भौजी ने इस शर्त पर पिटवाना बंद किया कि वो एक कविता सुनायेंगे. तो अब मैं पिटे पिटाये चच्चा "पिट लिये" को आमंत्रित करता हूं कि वो आये और अपनी नई नवेली रचना सुनाये...तो अब आ रहे हैं पिटे पिटाये चच्चा "पिट लिये" उर्फ़ सतीश सक्सेना. जरा जोरदार हुटिंग हो जाये....
(इस पूरी पोस्ट का पोडकास्ट यहां सुनिये.)
प्यारे भाईयों और मुझे पीटने वाली भौजाईयों...आप सबको होली की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं...अब मैं आपको बिल्कुल ताजा और पिटने के तुरंत बाद उपजी नई नवेली रचना सुना रहा हूं....सुनिये और दाद ...मेरा मतलब टिप्पणी दिजियेगा.... दाद खाज खुजली लेकर तो क्या करूंगा...लठ्ठों से पिट पिट कर वो तो यूं ही गायब हो गई है....हां तो अब सुनिये.
ऐसा क्या बुरा किया मैंने मुझको तुम क्यों पिटवाते हो
वर्षों से पूजन करने को
मंदिर के चक्कर लगवाए
रूपसियों का कर नेत्रपान
तेरे चरणों में सर नाए
तेरे दर्शन के साथ साथ सुंदरियों से धक्का मुक्की
में, जूता घूँसा लातों से मुझको तुम क्यों पिटवाते हो
सुन्दरता की रचना क्यों की
इसमें मेरी गलती क्या है
क्यों रूपसियों को मंदिर में
सजधज कर तुम बुलवाते हो
पूजा करने में ध्यान बँटे नज़रें चपलाओं पर जाती
करके अपना पाषाण ह्रदय तुम मुझको क्यों पिटवाते हो
शायद तुम भूले निज करनी
मैं याद तुम्हें दिलवाता हूँ
खुद तो मैरिड महिलाओं से
भी चक्कर खूब चलाते थे
राधा के घर को उजाड़ कर मुझको क्या सबक सिखाते हो
मैं तो तेरा फालोवर हूँ , तुम मुझको क्यों पिटवाते हो ??
-सतीश सक्सेना
नोट :- अब इस गरही कवि सम्मेलन का समापन करेंगे श्री ताऊ जी महाराज.
(अगले अंक में)
आदरणीय ताऊ जी राम राम
ReplyDeleteकेवल राम की तरफ से
आज तो सतीश जी की पिटाई पर सुदर रचना राम प्यारे जी ने सुनवाई ...आनंद आ गया ..शुक्रिया आपका
मैं तो तेरा फालोवर हूँ ,तुम मुझको क्यों पिटवाते हो ??
ReplyDeleteजद ही फ़ूफ़ा कहया करता, ना किसी के आग्गे जाणा, न किसी सुसरे के पिच्छे। फ़ालोवर बणोगे तो पिटना ही सै।
होली की राम राम
सच कह्ते हैं चच्चा, उनका क्या कसूर?
ReplyDeleteजब चचा पिट लिए तो अब किया ही क्या जा सकता है ।
ReplyDeleteअब तो होली की हार्दिक शुभकामनायें ही ठीक हैं ।
राम राम ।
हैप्पी होली।
ReplyDeleteहोली में चेहरा हुआ, नीला, पीला-लाल।
ReplyDeleteश्यामल-गोरे गाल भी, हो गये लालम-लाल।१।
महके-चहके अंग हैं, उलझे-उलझे बाल।
होली के त्यौहार पर, बहकी-बहकी चाल।२।
हुलियारे करतें फिरें, चारों ओर धमाल।
होली के इस दिवस पर, हो न कोई बबाल।३।
कीचड़-कालिख छोड़कर, खेलो रंग-गुलाल।
टेसू से महका हुआ, रंग बसन्ती डाल।४।
--
रंगों के पर्व होली की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
चच्चा पिटलिए तो पिट लिये
ReplyDeleteफिर भी कविता खूब सुनाई :)
राम-राम
वाह होली वाह !!
ReplyDelete
ReplyDeleteताऊ ,
देख लूँगा तुझे ...हांफ.... हांफ..... हांफ...
पिटवाया भी तो किससे समीर लाल और ललित जैसे मुस्टंडों से ...हांफ ....हांफ.....
बुरा हो ताऊ तेरा ! तेरी दूकान बंद हो जाए ...
हाय ...हाय ...
चचा ताउश्री की दूकान कभी बंद न होगी.आपका और सभी ब्लोगर जन का भ्रम निवारण तभी होवे जब कुछ सत्संग हो जाये और विवेक जगे .तो देर किस बात की ताउश्री और सभी ब्लोगर जन के साथ आईये 'बिनु सत्संग बिबेक न होई' पर.
ReplyDeleteग़मों से मुक्ति मिलेगी,खुशिओं का संग होगा.
रंगों की मौज होगी,सत्व की खोज होगी
होली है,बुरा न मानो होली है.
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
ReplyDelete:):) होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteमैं तो तेरा फालोवर हूँ , तुम मुझको क्यों पिटवाते हो ??
ReplyDeleteसतीश चाचा देख लिया आज, ताऊ की दूकान पर मूंछ वाली चाचियों से मार खाते हो .... और हमरे ब्लॉग पर आके लेक्चर देते हो.......
ये अच्छी बात नहीं चाचा.......
अब जिंदगी भर याद करोगे....... ताऊ की दूकान पर नए भतीजे मिले चाचा ....
जय राम जी की.
ताऊ ये न सोचिए कि हम पीछे खड़े चुपचाप अपने चच्चू को पीटण देवण लाग रिए...वो भी राज भौजाई के हाथों...वो तो चच्चू को जाण के थोड़े हाथ लगण दे रिए...इसलिए कि चच्चू ने बचपन में हमारे भी बड़े हाथ उड़ाए से...हिसाब बराबर होते ही हम सब भी कूद पणनगे कहते हुए...
ReplyDeleteहट जा ताऊ पाछे नै
नाचन दे जी भर के...
जय हिंद...
ताऊ!
ReplyDeleteये बड़्डी बेईमानी सै। पिटलिए को क्या पिटवाया। किसी नये नवेले को पीटते-पिटवाते तो कोई मर्दानगी होती।
होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteकमीने,पाजी,हरामी,अहमक,टपोरी सारे, तेरी गली में,
रकीब बनकर मुझे डराते मैं आऊं कैसे, तेरी गली में।
खड़ूस बापू,मुटल्ली अम्मा,निकम्मे भाई,छिछोरी बहनें,
सदा ही घेरें,भले ही आऊं,दुबक-दुबक के,तेरी गली में।
हमारी मूछों को काट देना,जो हमने होली के दिन ही आके,
न भांग छानी,न गटकी दारू,न खाये गुझिये,तेरी गली में।
अकड़ रहे थे ये सोचकर हम, जरा भी मजनू से कम नहीं हैं,
उतर गया है बुखार सारा, पड़े वो जूते, तेरी गली में।
किसी को मामा, किसी को नाना, किसी को चाचा, किसी को ताऊ
बनाए हमने तुम्हारी खातिर, ये फर्जी रिश्ते, तेरी गली में।
तमाम रस्ता कि जैसे कीचड़, कहीं पे गड्ढा, कहीं पे गोबर,
तेरी मुहब्बत में डूबकर हम मगर हैं आए, तेरी गली में।
भुला दी अपनी उम्र तो देखो ये हाल इसका हुआ है लोगों,
पड़ा हुआ है Êामीं पे ‘नीरज’ लगा के ठुमके, तेरी गली में।
सावधान.... यह माल भी चोरी का हे, अगर कोई आ गया इस का मालिक तो मेरा जिम्मा नही,
भाई आज तो पीटने पीटाने की बातें छोड़ दो .... होली है ... राम राम सभी को ....
ReplyDeleteआपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
पिटना भी भाग्य बढ़ाता है, होली का बहुत बधाईयाँ।
ReplyDelete@ दीपक बाबा ,
ReplyDelete"सतीश चाचा देख लिया आज, ताऊ की दूकान पर मूंछ वाली चाचियों से मार खाते हो .... और हमरे ब्लॉग पर आके लेक्चर देते हो......."
आजकल का यही तरीका है, ऐश करने का ! जहाँ पिट लिए वहां से भाग लो ...जहाँ शरीफ आदमी दिखे वहा गुरु बन जाओ , यही दस्तूर है !
क्या दीपक बाबा ....!!!
यह सब भी तुम से ही सीखा है ......
:-))
इस प्रकारका कवि सम्मेलन मै ब्लॉग पर पहली बार देख और
ReplyDeleteसुन रही हूँ हसते हँसते मेरा तो बुरा हाल हुआ है !
सभी मित्रोंको होली की बहुत बधाई! जो अपने सारे
दुःख दर्द भुलाकर दुसरोंको इस प्रकार हँसाते है
इश्वर उनको बहुत लम्बी उम्र दे उनके जीवन के रंग
कभी भी फीके न हो बस यही कामना करती हूँ!
@ खुशदीप सहगल ,
ReplyDeleteखुशदीपे....
तू भी इन जालिमों के साथ ...यह दिन देखने के लिए हम जिन्दा क्यों हैं ! अब अपना कोई नहीं क्या ...??
@ दिनेश राय द्विवेदी,
ReplyDeleteन जाना की दुनियां से जाता है कोई
बड़ी देर की , मेहरबां आते आते !
बन्धु, मना किया था कई बार तुम टाक-झाँक मत किया करो. माना उम्र अभी कच्ची है, चेहरा थोडा सा चिकना है, लेकिन भाई यह भी सोचो, भले काम का बुरा नतीजा, इस युग में ऐसा होता है.
ReplyDeleteसुधर जाओ भाई!!
jai ho tau maharaaj ki. jai ho sameera bauji ki , jai ho lalita bauji ki , jai ho rajiya bauji ki ... chaccha ko peetane me accha to nahi laga , lekin kya kare, bura na maano, holi hai .
ReplyDeleteताऊजी का जवाब नहीं । बरसोवा से लठैत भौजियों को यहाँ बुलवाकर छोटे चच्चा सतीशजी की धुलाई करवा डाली । ये तो सतीशजी का जिगरा ही है कि इतना पिटके भी ताऊ की शान में कविता पाठ कर रहे हैं । बधाई सतीशजी इस हिम्मत के लिये । और भौजियां भी सभी जान-पहचान की दिख रही हैं तो बधाई की हकदार तो ये भी हैं ही ।
ReplyDeleteसभी को होली की रंगारंग शुभकामनाएँ...
@ प्रवीण पाण्डेय जी
ReplyDeleteताऊ रोज क्यों लठ्ठ से पिटता है इसका राज आज समझ में आगया.:)
जय हो ताऊ की भाग्य बढवाने का अचूक नुस्खा निकाला है ताऊ ने.:)
पिटने के बाद तो अब सतीश जी को बस सहानुभूति ही दे सकते हैं :)
ReplyDeleteसबको होली मुबारक!!!
अब पिट लिए तो पिट लिए :-)
ReplyDelete.होली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDelete.होली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteजय हो! हैपी होली!
ReplyDeleteबहुत खूब..ये है होली की असली हास्य-सहजता...
ReplyDeleteताऊ जी!
ReplyDeleteप्रशंसनीय लेखन और चित्रण के लिए बधाई।
===================
"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
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क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
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होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
हा हा!! चचा पिट लिये...बहुत मजेदार रहा चच्चा पिट लिए का प्रदर्शन...जय हो!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की बहुत मुबारकबाद एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
पीटना और पिटना दोनों ही खूब रहा ..!
ReplyDeleteपर्व की बहुत शुभकामनायें !
होली पर अपनी इन बहुओं को सजा-बजा देख कर आनन्द आ गया .
ReplyDeleteआशीर्वाद देती हूँ - इनकी चूड़ियाँ ,चुनरी हमेशा चमकती रहें ,और सदा सौभाग्यवती बनी रह कर सास जी के गुण गायें !
होली की शानदार चुहल
ReplyDeleteशुभकामनाएं दें तो किस बात(?) की?
वाह सतीशजी,
ReplyDeleteहोली का चटखारा, देवर भौजीई की छेड-छाड़, व्यंग और प्रभु का संग सभी कुछ परोस दिया अपने बस मीठी बातों की कसर रह गई है... वोह हम
शुभकामनाओं से पूरी कर देतें हैं :]
आपको, दोस्तों को, परिवार को और आपके ब्लॉगजगत समाज को होली की रंगों भरी मीठी बधाई!
कविता
are naspiton......hamre bhole-bhale
ReplyDelete'jaki dada' ko sub mil-bantkar pitwaye ho......lekin ye kya dada pit
kar bhi khush hue ja rahe hain.....
oh...ho.......holi ke tarang me the......phir koi gal nahi.........
fagunaste.
ताउू इस होली पर तेरे चेहरे का नकली रंग भी उड़ जाए और दीवाली तक तू सबकी पहचान में आ जाए यह मेरा आशीर्वाद है।
ReplyDeleteडॉ अजित गुप्ता ,
ReplyDeleteसबसे बढ़िया टिप्पणी यही रही, ताऊ का नकली रंग भी उड़ जाए और सबकी पहचान में आ जाये ! इस रंग को उड़ाने में मैं आपके साथ रहूँगा, बताइयेगा क्या करना है ?
अब पिट लिए तो पिट लिए :)होली है.
ReplyDeleteवाह ताउजी बड़ी बड़ी मूंछों वाली bhojiyon se pitwaa dala !!! होली की shubhkaamnaae!!!
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteमुरारी बहुत दिन बाद दिखे हैं भौजियों के चक्कर में.
ReplyDeleteपिट तो हम गए मगर ...
ReplyDeleteरज़िया भौजी की चुनरी तो देखो ...
जर्मनी में सर्कुलेट होना चाहिए यह फोटू :-)
हा...हा....हा....हा......
और ललित भाई ,
साड़ी में भी मसल्स एक्सपोज्ड हा...हा...हा...हा....
सतीशजी करना क्या है, एक डेलीगेशन लेकर इंदौर चलते हैं,और ताऊ के घर धरना देते हैं। बस कब तक छिपेंगे?
ReplyDeleteवाह असली होली तो यहीं खेली गयी। सभी हुरियारों को राम राम।
ReplyDeleteबहुत ही मजेदार पोस्ट रही... :)
ReplyDeleteहर बात मजेदार...
ReplyDeleteसतीश जी कि पिटाई और उस पर इतनी बढ़िया रचना...
होली का मज़ा आ गया...
देर से आने के लिए माफी...
This is Very very nice article. Everyone should read. Thanks for sharing. Don't miss WORLD'S BEST
ReplyDeleteCarStuntsGame